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about the Shimla water crisis :
शिमला के पानी दाता : पानी की हाहाकार के बीच जब मेयर चायना भाग गई ओर सरकार के हाथ पांव फूल गए ,तब यह फरिश्ता रात के 3-3 बजे तक अधिकारियों के साथ शिमला के गली गली पानी की सप्लाई सुनिश्चित करने निकला, शहर के चप्पे चप्पे का जायजा लिया और अगले दिन प्रदेश के सबसे बड़े कोर्ट की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठकर डेली सुनवाई करते हुए शिमला को जल संकट से निकाला।शिमला के जगरूप वकीलों ने इसकी शुरुआत एक दिन की हड़ताल से की तो माननीय एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय करोल साहब ने पानी सप्लाई सुचारू करवाने का जिम्मा खुद सम्भाल लिया।अधिकारी सुबह साढ़े नो बजे कोर्ट में तलब किये और तगड़ी घुट्टी पिलाई।फिर क्या था चीफ सेक्रेटरी तक को म्युनिसिपल कारपोरेशन के कार्यालय में बैठना पड़ा।शहर में जो पानी की सप्लाई 12 दिन बाद हो रही थी उसे हर तीन दिन बाद करवाया।लीकेज ओर अवैध कनेक्शन धारियों के कनेक्शन कटे।सप्लाई लाइन से सीधे कनेक्शन लेकर 24 घँटे पानी सप्लाई का लुत्फ लेने वालों की शामत आई।लाखों का पानी बिल न भरने वाले पानी भरते नज़र आये।शिमला के जल संकट को सिर्फ एक दिन में हल कर के जस्टिस संजय करोल प्रदेश की जनता के हीरो बन गए।शर्म की बात है कि जिन दो लोगों, मेयर ओर पानी मंत्री को इस संकट की घड़ी में मैदान में डटने चाहिए था वो दोनों ही भाग खड़े हुए।सोचिये अगर जज साहब कानून का डंडा उठाकर रात भर लोगों की समस्याओं को न समझते ओर न हल निकालते तो शिमला में महामारी फेल सकती थी।जज साहब ने सभी VVIP को टैंकरों से पानी सप्लाई करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा कर आम जनता को राहत दी।
Houses in Shimla / Arpit Chhonker / CC-By-SA 4.0 |
Even now politicians are
talking of more dams, more lifting schemes (which are subject to corruption and
not completed for years) from far away rather than protecting and enhancing
local sources and inculcating a culture of conservation / tighter management. Shimla earlier had 30-40 public water sources in the city – hillside
streams and bawadis which have been constructed over or commandeered for
private use. Farmers growing vegetable crops upstream have been stopped from
drawing water – is it a given that rural people must pay for cities’ misuse ?
It is rich that the Congress
can blame BJP, having been in power at assembly level and Shimla corporation
level for most of the time. BJP too hasn’t confronted this issue in its 15
years of rule at assembly level and a few years at the corporation level.
The previously installed waterschemes that supplied shimla have only half the water they were designed for. A long dry spell with less rainfall and snowfall appear to be
factors behind the depletion of water in the city. Leaky pipes also lead
to a loss of a significant amount of water. The civic body gives VIP
localities preferential treatment. The illegal construction that takes place
across the city is also the place where water is frequently pilfered for use,
along with hotels that draw extra water. As a result, the common man is left to
face the shortage of water almost every year.
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